Wednesday, June 12, 2013

मात्रभूमि

मात्रभूमि तुझको नमन
तू जीवनधार  है सबको देती है अन्न
तू है   कितनी महान
सब दुःख सहती है पर कुछ न कहती है
अगर तू न होती तो क्या होता अस्तित्व
न फूल होता और न होती नदिया
तू है कितनी विशाल 
तेरी महिमा अपरम्पार
पाकर  तुझको सुख है भोगा
सब कुछ है पास हमारे
पर कुछ लोग करते है तेरा सौदा
वो नहीं समझ पाते तेरे गुण
और कर देते है तेरा सौदा
पर हम भी कुछ कम नहीं
आज़ाद करा लेते है अपनी मात्रभूमि को
और नहीं टूटता जीवन का नाता
सब रहते प्यार और भाईचारे से
रहता अमन और चैन यहाँ पर
हे मात्रभूमि तुझे  नमन

1 comment:

  1. पर हम भी कुछ कम नहीं
    आज़ाद करा लेते है अपनी मात्रभूमि को
    और नहीं टूटता जीवन का नाता
    wah bahut khoob likha hai aap ne ........badhai.

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